कुछ मिले या न मिले, प्रभु की स्तुति हो।
वो बढ़े और मैं घटूं, प्रभु की स्तुति हो।
1. जीवन की राहों में चलता रहूँगा
मैं प्रभु की स्तुति करते हुए
सुख में रहूँ या दुःख में रहूँ मैं
प्रभु की स्तुति करूँ
2. देने के द्वारा प्रभु की स्तुति
करता रहूँगा मैं तो सदा
प्रभु के भण्डार में अपने दशमांश
लेके आज सदा
3. आनेवाला है यीशु मसीहा
बादलों पर होके सवार
ले जाएगा अपने साथ मुझे
और करेगा प्यार
कुछ मिले ……