करता हूँ मैं तेरी चिन्ता,
तू क्यों चिन्ता करता है…(2)
आँसुओं के घाटियों में,
हाथ न छोडूंगा तेरा…(2)
1. मेरी महिमा तू देखेगा,
खुद को मेरे हाथों में दे दे…(2)
मेरी शक्ति में, तुझको देता हूँ ।
चलाऊँगा हर दिन मेरी कृपा में…(2)
2. सभी तुझको भूलेंगे तो भी,
क्या मैं तुझको भूलूंगा कभी…(2)
अपने हाथों में तुझे उठाकर चलाऊँगा
हर दिन इस जहाँ में…(2)
3. अब्राहम का मैं, परमेश्वर हूँ,
अद्भुत कार्य क्यों न करूँगा…(2)
लाल सागर में रास्ता दिया,
आज भी मैं करने के योग्य हूँ…(2)